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उत्तराखण्ड मन्दिर


Uttarakhand Temples

Uttarakhand is one of those states in India that take pride in being known as “Devbhumi”. All four “Dhams”, viz, Badrinath, Kedarnath, Gangotri and Yumnotri are located here. Today, Uttarakhand is synonymous to tourism. Apart from world renowned hills stations like Mussouri, Nainital, Almora, Bageshwer, Jageshwar, Auli and religious bastions like Haridwar and Rishikesh, Uttarakhand is peppered with smaller temples that reflect the cultural, religious and rich historical fabric of the state.

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अल्मोड़ा का इतिहास

अल्मोड़ा का इतिहास  महाभारत के प्राचीन काल में वापस आ सकता है। सातवीं शताब्दी में एक चीनी तीर्थयात्री ने शहर के पहले ऐतिहासिक विवरण प्रदान किया था कत्युरी राजवंश  क्षेत्र ने पहले राज्य की स्थापना की । उनके वंशज,  राजा बैचाल्देव ने , भूमि का एक प्रमुख हिस्सा   श्री चंद तिवारी ,  एक गुजराती ब्राह्मण  को दान किया। सोलहवीं शताब्दी  के मध्य में , चंद वंश इस क्षेत्र पर शासन कर रहा था। उन्होंने अपनी  राजधानी चंपावत से अल्मोड़ा  तक स्थानांतरित कर दी और इसे  ‘आलम नगर’ या  ‘राजपुर’  नाम दिया |  अली मुहम्मद खान रोहिल्ला  द्वारा छापे के दौरान  1744 में , अल्मोड़ा को चंद वंश से कब्जा कर लिया गया था । हालांकि, पहाड़ियों में रहने की कठिनाइयों को सहन करने में असमर्थ, अली मोहम्मद खान रोहिल्ला ने रोहिल्ला प्रमुखों को , तीन लाख रुपयों की भारी रिश्वत के लिए अल्मोड़ा लौटा दिया। अली मोहम्मद, उनके कमांडरों के आचरण से असंतुष्ट थे , उन्होंने फिर से  1745  में अल्मोड़ा पर हमला किया । हालांकि, इस बार रोहिल्ल...

जागेश्वर धाम

उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान हिमालय की पहाडियों के कुमाऊं क्षेत्र में कत्यूरीराजा थे। जागेश्वर मंदिरों का निर्माण भी उसी काल में हुआ। इसी कारण मंदिरों में गुप्त साम्राज्य की झलक भी दिखलाई पडती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इन मंदिरों के निर्माण की अवधि को तीन कालों में बांटा गया है। कत्यरीकाल, उत्तर कत्यूरीकाल एवं चंद्र काल। बर्फानी आंचल पर बसे हुए कुमाऊं के इन साहसी राजाओं ने अपनी अनूठी कृतियों से देवदार के घने जंगल के मध्य बसे जागेश्वर में ही नहीं वरन् पूरे अल्मोडा जिले में चार सौ से अधिक मंदिरों का निर्माण किया जिसमें से जागेश्वर में ही लगभग २५० छोटे-बडे मंदिर हैं। मंदिरों का निर्माण लकडी तथा सीमेंट की जगह पत्थर की बडी-बडी shilaon से किया गया है। दरवाजों की चौखटें देवी देवताओं की प्रतिमाओं से अलंकृत हैं। मंदिरों के निर्माण में तांबे की चादरों और देवदार की लकडी का भी प्रयोग किया गया है। जागेश्वर धाम  में अनेक देवताओं का निवास स्थान है। इसलिए कहाँ गया है। देवता देखण जागेश्वर, गंगा नाणी बागेश्वर। जागेश्वर धाम शिव की तपोस्थली है।  इस स्थान पर दक...