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Showing posts from September, 2017

नन्दा देवी मेला, अलमोड़ा

भाद्र मास की पंचमी से नंदा देवी का मेला आरंभ होता है। षष्ठी के दिन कदली वृक्षों को पूजन के लिये मंदिर ले जाते हैं। सप्तमी की सुबह इन कदली वृक्षों को नंदा देवी मंदिर ले जाया जाता है। मंदिर में भक्त और स्थानीय कलाकार इन कदली वृक्षों से मां नंदा एवं सुनंदा की प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं। इसके बाद इनमें प्राण प्रतिष्ठा कर विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। प्रतिमाओं को बनाने के लिये कदली वृक्षों को इस बार कौसानी के पास स्थित छानी और ल्वेशाल गांव से नंदा देवी मंदिर परिसर लाया जाएगा। मेले की जगरिए और बैरियों की गायकी भी काफी मशहूर है। ये मेला चंद्र वंश के शासन काल से अल्मोड़ा में मनाया जाता रहा है। इसकी शुरुआत राजा बाज बहादुर चंद्र (सन् 1638-78) के शासन काल से हुई थी। आदिशक्ति नंदादेवी का पवित्र धाम उत्तराखंड को ही माना जाता है। चमोली के घाट ब्लॉक में स्थित कुरड़ गांव को उनका मायका और थराली बलॉक में स्थित देवराडा को उनकी ससुराल.जिस तरह आम पहाड़ी बेटियां हर वर्ष ससुराल जाती हैं, माना जाता है कि उसी संस्कृति का प्रतीक नंदादेवी भी 6 महीने ससुराल औऱ 6 महीने मायके में रहती हैं। उत...