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Showing posts from September, 2016

गर्जिया देवी मन्दिर

गर्जिया देवी मन्दिर या 'गिरिजा देवी मन्दिर' उत्तराखण्ड के सुंदरखाल गाँव में स्थित है, जो माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर श्रद्धा एवं विश्वास का अद्भुत उदाहरण है। उत्तराखण्ड का यह प्रसिद्ध मंदिर रामनगर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है, जहाँ का खूबसूरत वातावरण शांति एवं रमणीयता का एहसास दिलाता है। देवी के प्रसिद्ध मन्दिरों में गिरिजा देवी (गर्जिया देवी) का स्थान अद्वितीय है। गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ही इन्हें इस नाम से पुकारा जाता है। मान्यता है कि जिन मन्दिरों में देवी वैष्णवी के रूप में स्थित होती हैं, उनकी पूजा पुष्प प्रसाद से की जाती है और जहाँ शिव शक्ति के रूप में होती हैं, वहाँ बलिदान का प्रावधान है। इतिहास पुरातत्ववेत्ताओं का कथन है कि कूर्मांचल की सबसे प्राचीन बस्ती ढिकुली के पास थी, जहाँ पर वर्तमान रामनगर बसा हुआ है। कोसी नदी के किनारे बसी इसी नगरी का नाम तब 'वैराट पत्तन' या 'वैराट नगर' था। कत्यूरी राजाओं के आने के पूर्व यहाँ पहले कुरु राजवंश के राजा राज्य करते थे, ज...

गोलू देवता

गोलू देवता के प्रति उत्तराखण्ड वासियों की विशेष श्रद्धा है, ये घर-घर में पूजे जाने वाले देवता हैं। उत्तराखण्ड के कुमायूं मण्डल में इनके तीन मुख्य मंदिर चम्पावत, चितई और घोड़ाखाल में हैं तथा पौड़ी गढवाल में भी इनका एक मंदिर कंडोलिया देवता के नाम से है। कुमायूं मण्डल में हर गांव में तथा ऐसे ही घर के अन्दर भी गोलू देवता का मंदिर आवश्यक रुप से होता है। इतिहास में अंकित है कि गोलू देवता उत्तराखण्ड के न्यायप्रिय राजा रहे हैं, इनके दरबार में लोग न्याय की आशा में आते और उचित न्याय पाकर गोलू राजा की जय-जयकार करते वापस जाते थे। इनकी न्यायप्रियता ने इन्हें लोगों के दिलों में अंकित कर दिया और लोग इनकी पूजा करने लगे, परिणाम स्वरुप आज गोलू देवता घर-घर में सम्मान के साथ पूजे जाते हैं। गोलू देवता की जागर भी लगाई जाती है, यहां पर श्री हरी विनोद पन्त जी द्वारा गोल्ज्यू की जीवन पर लिखित कथा को मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ- श्री गोलू महाराज की संक्षिप्त कथा जनश्रुति पर आधारित) उत्तराखंड के लोकदेवता, यहाँ के जनमानस के इष्ट देव श्री ग्वेल ज्यू, बाला गोरिया, गौर भैरव या ग्वेल देवता की अपन...

श्री हेमकुंड साहिब

श्री हेमकुंड साहिब या गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी सिखों का एक धार्मिक स्थल है जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। हेमकुंड एक बर्फ की झील है जो सात विशाल पर्वतों से घिरी हुई है जिन्हें हेमकुंड पर्वत भी कहते हैं। हेमकुंड साहिब की यात्रा हिन्दू की पवित्र अमरनाथ यात्रा से भी जोड़ कर देखी जाती है। सिख धर्म की आस्था का प्रतीक हेमकुण्ड साहीब का पावन गुरूद्वारा समुद्र तल से 4329 मी. की ऊँचाई पर एक झील के किनारे स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पहले एक मंदिर था जिसका निर्माण भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने करवाया था। सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह ने यहां पूजा अर्चना तथा तपस्या की थी। बाद में इसे गुरूद्वारा घोषित कर दिया गया। इस दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर से बर्फ की ऊँची चोटियों का प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में अत्यन्त मनोरम एवं रोमांच से परिपूर्ण लगता है। इसी झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत श्रृंखलाओं से पानी आता है। एक छोटी जलधारा इस झील से निकलती है जिसे हिमगंगा कहते हैं। झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर भी अत्यन्त दर्शनीय है। अत्यधिक ऊँचाई पर होने के कारण साल में लगभग 7 मही...